दो कदम सजनी चली
दो कदम साजन चले।
दिल में थे अरमान पले
पल-पल हम संग चले।
चुपके-चुपके चोरी से
बोली पायल गोरी से।।
अब तुम घूंघट खोलो
दो बोल प्रेम के बोलो।
नैनों से नैनों को तोलो
तन मन मधु रस घोलो।
चुपके-चुपके चोरी से
बोली पायल गोरी से।।
थोड़े साजन घबराए
थोड़ी सजनी शरमाई।
चूड़ियां खनकी खन-खन
बिंदिया चमकी चम- चम।
चुपके-चुपके चोरी से
बोली पायल गोरी से।।
तन से तन मिल गये
मन से मन मिलने लगे।
चम्पा जूही मोगरा से
घर आँगन महकने लगे।
चुपके-चुपके चोरी से
बोली पायल गोरी से।।
रीत प्रीत रहे अमर सदा
साजन और सजनी में।
पहाड़ झरने ये नदियाँ
गाते आई है सदियाँ।
चुपके-चुपके चोरी से
बोली पायल गोरी से।।
कैलाश मंडलोई कदंब
खरगोन मध्यप्रदेश
0 टिप्पणियाँ