शब्दों के भ्रम जाल
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मुक्त होना चाहता हूँ
शब्दों के भ्रम जाल से
झूठी कथा
कहानी सुनाकर
छला धर्म के नाम पर
झूठे कर्म-कांड बताकर
छला कर्म के नाम पर
सदियों से
झूठ की फसल
उगाई जा रही है
आस्था के नाम पर
धर्म का लेबल लगाकर।
कथनी और करनी में अंतर
देख बिल-बिला उठा मन
सच की घिनौनी
तस्वीर देखकर
सोच रहा कही छिप जाऊं
निशब्दता की चादर ओढ़े।
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