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बचपन मुसकाने दो
पृथ्वी संरक्षण 
बिटिया चली विदेश
सूरज दादा (बाल कविता)
जीवन का उपहार है माँ
बेटी का अरमान
कवि कामना दुर्दिन बीते जाय
ख़ुशी के पल
 अंजाम
चलना ही तो जीवन है
पँछी बोले
गंदा जल
आतंक की निशा
कुहकी कोयल बागों में
जीवन संगीत
कर्म का गान
सत्ता बल
झूठे वादे