मेरी खुशी

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तुम हो मेरी खुशी...
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फूल में मकरंद सी
गीत में हो छंद सी
तुम हो मेरी खुशी
प्रेम परमानन्द सी।।

राग में अनुराग सी
फूल भँवरे बाग सी
तुम हो मेरी खुशी
प्रीत प्रेम में राग सी।।

मात-पिता की सेवा सी
फल मिष्ठान मेवा सी
तुम हो मेरी खुशी
नमन शीश गुरुदेवा सी।।

भूख में तुम रोटी सी
भूल ना हो छोटी सी
तुम हो मेरी खुशी
मिले दाल रोटी सी।।

     कैलाश मंडलोई 'कदंब'


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