ग्रामीण जीवन और शहरी जीवन
भारत की एक तिहाई जनसंख्या आज भी गाँवों में निवास करती है। इसीलिए भारत को गाँवों का देश कहा जाता है। गाँवों में भारतीय संस्कृति के दर्शन होते हैं। सरल जीवन छल प्रपंच से दूर, आपसी भाईचारे के साथ अश्लीलता से दूर आज भी सादा जीवन उच्च विचार के दर्शन भारत के ग्राम्य जीवन में होते है। शुद्ध वायु, खेतों की हरियाली, खेतों में काम करते लोग, चहचहाते पक्षियों की आवाजें, गाय, भैंस व भेड़- बकरीयों की आवाजों के साथ बैलों के गले में बंधी घंटियों की आवाजों में ग्राम्य जीवन के स्वर सुनाई देते है। गाँव की जीवन पद्धति, रहन सहन, आचार विचार से ही भारत को जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है की भारत की आत्मा गाँवों में बसती है।
ग्रामीण जीवन के ठीक विपरीत होता है शहरी जीवन। एक ही स्थान पर हजारों लोग निवास करते है। कई तरह के व्यवसाय व उद्योग धंधे, भीड़ भरा जीवन, हर पल जीवन की भागा-भागी, सड़कों पर दौड़ते वाहन, धुल, धुआँ और ध्वनि प्रदूषण के साथ कई प्रदूषणों से घिरा जीवन होता है शहरी जीवन।
गांवों में गरीबी, निरक्षरता, अंधविश्वास व जात-पात के साथ रुढ़ीवादीता भी दिखाई देती है। वही शहरों में अंधविश्वास व जात-पात के साथ रुढ़ीवादीता को महत्व नहीं दीया जाता।
गांवों में आज भी संयुक्त परिवारों में कई लोग रहते है इसके विपरीत लोग शहरों में संयुक्त परिवार में रहना पसंद नहीं करते है।
समय बदला, गाँव में बेरोजगारी बढ़ी, लोग काम की तलाश में शहरों की ओर आए। झुग्गी झोपड़ीयाँ बनी, गंदी बस्तियों का निर्माण हुआ। कई तरह की बीमारियां पैदा हुई। व्यभीचार बढ़ा। आधुनिकता के कारण शहरों में मानवीय संवेदनाएं कम है। अश्लीलता के दर्शन खुले आम होते है। शहर में समस्याएं होने को साथ-साथ कई प्रकार की सुविधाएं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और मनोरंजन के कारण भी लोग शहरों में रहना पसंद करते है। आज भी गांव में शांति और शकुन होने के बावजूद अधिकतर शिक्षित लोग शहरों में ही बस रहे है।
ऐसा नहीं है कि जो सुविधाएँ शहर में है वह गाँवों में नहीं है किंतु अब गाँवों में भी शहरों की कई सुविधाएँ पहुंच गई हैं। जैसे बिजली, टेलीफोन, मोबाइल फोन, कंप्यूटर, सड़क, पानी का नल जैसी सुविधाएँ आदि । गाँव में किसान आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग करने लगे जैसे अब हल बैल के स्थान पर ज्यादातर ट्रैक्टरों से खेतों की जुताई की जाती है । अब हर गाँव में स्कूल, सार्वजनिक भवन तथा अस्पताल हैं। गाँवों की गलियाँ पक्की कर दी गई हैं ।
ग्रामीण व शहरी जीवन दोनों की जहां कुछ विशेषताएं हैं वहीं, कुछ कमियां भी हैं। शहरी जीवन में सुविधाएं व आगे बढ़ने के अवसर ज्यादा हैं जबकि वहां प्रदूषण की समस्या गंभीर है। इसी तरह से गांवों में सुविधाओं की कमी है, लेकिन यहां का स्वच्छ वातावरण सेहत के लिए बेहतर है।
कैलाश मण्डलोई "कदंब"
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