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शीतल मंद पवन के झोंके,
आते है वृक्षों से हो के।
फलों फूलों से लदे वृक्ष हो,
हर मानव का यही लक्ष हो।
वृक्ष धरा के आभूषण है,
यह करते दूर प्रदूषण है।
फल, फूल, हवा सुखदायी,
वृक्ष है जीवन दाता भाई।
वृक्ष से रोटी वृक्ष से पानी,
वृक्ष ही देते है जिंदगानी।
पेड़ काटने की हे मानव
अब मत करना नादानी,
वरना तुझको नहीं मिलेगा
शुद्ध हवा समय पर पानी।
अब हमारा एक ही लक्ष हो
वृक्षारोपण में सभी दक्ष हो
हर आँगन में एक वृक्ष हो,
पूजा पाठ से पहले वृक्ष हो।
सच्चे मन से संकल्प करें
धरती माँ का शृंगार करें,
जो हरे भरे वृक्ष है उनको
माँ बहन भाई सा प्यार करें।
कैलाश मंडलोई ‘कदंब’
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