चलना ही तो जीवन है


चलना ही तो जीवन है
----------------------
हवा बदले
पानी बदले
आग बदलती रूप यहाँ
कली फूल में
फूल धूल में
धूल से माटी
माटी में जीवन पौधे का 
परिवर्तन ही जीवन है
हर कण
हर क्षण गतिमान 
रुके न कोई चीज यहाँ
हर पल कलकल
बहती नदियाँ
कहती चल-चल
सूरज चलता
धरती चलती
चलते चंदा तारे
तू क्यों बैठा तेरा मेरा लेकर
आज नहीं तो कल चलना है
कब तक रैन बसेरा
मत कर कल-कल
बीत रहा पल-पल
तू भी चल 
हर-पल चल
चलना ही तो जीवन है।।
कैलाश मण्डलोई "कदंब"


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ