अंजाम



प्रेम प्रीत की बातें छोड़ो ,
--------------------------------
 प्रेम प्रीत की बातें छोड़ो ,
अब रण की भेरी बजने दो।
डोली श्रृंगारित फिर करना ,
सीमा पर सेना सजने दो।।

धरती आकाश में कहीं छुपे,
ढूंढो इनके आकाओं को।
गिनती करके आओ काटें ,
इनकी सारी शाखाओं को।।

 हमलावर चाहे कोई हो ,
मुंहतोड़ जवाब चलो देने ।
दुश्मन यदि एक अगर मारे ,
बदले में दस शिर हैं लेने ।।

कभी करे न हरकत ऐसी,
सबक आज ऐसा सिखला दो।
अंजाम आज गद्दारी का ,
अब सारे जग को दिखला दो।।

कैलाश मंडलोई कदंब
खरगोन मध्यप्रदेश

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ