सत्य की परछाइयाँ (दोहे)
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परछाईं में सत्य की, सदा रहो इंसान।
चाहे दुख काँटे मिले, मत बदलो ईमान।।
परछाई सद करम की, लाए स्वर्ण निखार।
ज्यों-ज्यों पग आगे बढ़े, खुले सफलता द्वार।।
ज्यों छल परछाई पड़े, करम मलिन हो जाय।
देत धोखा ओरन को, खुद भी धोखा खाय।।
नेह की परछाई तले, तन मन शीतल होय।
संकट कलह दूर टले, मन आनन्द समाय।।
कैलाश मंडलोई 'कदंब'
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