राजपथ के बहरे गलियारे --------------------- कितने व्यवहार कुशल हो गए चुनाव में घोषणा पत्र लिखकर गाँवों की नगरों की कस्बों की सीमाओं पर स्वागत बोर्ड लगाकर निश्चिंत हो गए मन ही मन गुनगुनाते चले जा रहा था राज पथ पर विश्वास लिए न्याय मिलेगा कोई भूखे, गरीब, मजबूर, कमजोर की आवाज सुनेगा आवाज लगाई एक प्रतिध्वनि सी आई जो मुझे सुनाई मुझे मत सुनो पर बन्द मत करो कान सच है अंधा झूठ है बहरा बड़ा कठिन है न्याय पाना असत्य को बेध पाना राजपथ के बहरे गलियारे।
घर और उसका प्रभाव-बच्चों में संस्कार दे
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मनुष्य के विकास को ले कर एक बार एक प्रयोग किया गया. दो बच्चों को उन के
जन्मते ही घने जंगल में गुफा के भीतर रख दिया गया. उन्हें खाना तो दिया जाता
था...
इसमें फूल भी है, काँटे भी है, गम के संग खुशी भी है।चुन लो आपको जो अच्छा लगे। शब्दों की कमी इस संसार में नहीं है- पर उन्हें चुन-चुन कर मोती सा मूल्यवान बनाना बड़ी बात है। बस ज्ञान-विज्ञान, भाव-अभाव, नूतन-पुरातन, गीत-अगीत, राग-विराग के कुछ मोती चुन रहा हूँ। कुछ अतीत, वर्तमान व भविष्य के ज्ञान मोतीयों से मन के धागे में पिरोकर कविता, कहानी, गीत व आलेखों से सजा गुलदस्ता आपको सादर भेंट।
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