राजपथ


राजपथ के बहरे गलियारे
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कितने 
व्यवहार कुशल हो गए
चुनाव में घोषणा पत्र लिखकर
गाँवों की
नगरों की
कस्बों की 
सीमाओं पर स्वागत बोर्ड लगाकर
निश्चिंत हो गए
मन ही मन गुनगुनाते
चले जा रहा था
राज पथ पर
विश्वास लिए
न्याय मिलेगा
कोई भूखे, गरीब,
मजबूर, कमजोर की
आवाज सुनेगा
आवाज लगाई
एक प्रतिध्वनि सी आई
जो मुझे सुनाई 
मुझे मत सुनो
पर बन्द मत करो कान 
सच है अंधा
झूठ है बहरा
बड़ा कठिन है न्याय पाना
असत्य को बेध पाना 
राजपथ के बहरे गलियारे।

कैलाश मण्डलोई "कदंब"

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