सत्ता बल



सत्ता बल की मनमानी...
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झूठे लगते अब तो प्यारे।
सच्चाई में कुछ दम नहीं।।
झूठे जीते और सच्चे हारे।
सच सुनने की कूबत नहीं।।
     
सच को झूठा साबित करते।
और झूठ बोलते है ज्यादा।।
पूजा अब उसकी होती है।
जो करता नित झूठा वादा।।
     
दया धरम सब बात पुरानी।
लाज शरम लगती बेईमानी।।
दुखी विपदा कोई न जानी।
देखी सत्ता बल की मनमानी।।

अभी दबा लो सच को तुम।
पर सच मिट सकता नहीं।।
इक दिन पोल खुलेगी सारी।
सच से झूठ बच सकता नहीं।।

कैलाश मंडलोई "कदंब"

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