स्वप्न सकल संसार है (दोहे)
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स्वप्न सकल संसार है, करे मत हाय-हाय।
चाहे कितना जोड़ ले, कौड़ी संग न जाय।।
तेरा-मेरा खुब करे, झूठा जग व्यापार।
आँख लगते सब सपना, संग रहे ना तार।।
सोचना मत कभी बुरा, सपनें में इंसान।
बुरी सोच का फल बुरा, मिलता सच्चा जान।।
भले स्वप्न जो देखता, करे भले वह काम।
सदा रहेगा जगत में, उसका प्यारे नाम।।
कैलाश मंडलोई 'कदंब'
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