सद भावना


सामाजिक सद भावना...(दोहे)   
 
सामाजिक सद भावना, भरो सकल मन माहि।
आपस में मिलकर रहें, मन में संशय नाहि।।1।।

उठ कर जाति धर्म से, धर मानव का ध्यान।
हिंदू मुसलिम बाद में, बन पहले इंसान।।2।।

भाईचारा मन धरे, रखे नाहि मन बैर।
सब को अपना मान ले, सबकी माँगे खैर।।3।। 

समता पर विचार करें, खाई पाटे आज।
विकसित हो सद भावना, तभी सफल हो काज।।4।।

पंथ जाति सब है अलग, अलग-अलग सब काम।
समरसता इनमें भरो, बनते बिगड़े काम।।5।। 


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