नवरात्रि क्यों मनाई जाती

Shardiya Navratri 2019 : Durga Mantra Jaap Benefits In Hindi - इस दिन शुरू  हो रही नवरात्रि : भाग्य चमका देंगे ये दिव्य मंत्र, अभी से कर लें इन्हें याद  करने की तैयारी ...

                          नवरात्र क्यों मनाया जाता है

     नवरात्र क्यों मनाया जाता है। जब महिषासुर देवताओं को परेशान करने लगा और धरा पर उत्पात मचाने लगा। उसके संहार के लिए माता पार्वती ने अपने अंश से 9 रूप उत्पन्न किए। सभी देवताओं ने उन्हें अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया। इसके बाद देवी ने महिषासुर का अंत किया। इसी उपलक्ष्य में यह पर्व मनाया जाता है। अतः असुरों के नाश का पर्व है नवरात्रि।

    यह संपूर्ण घटनाक्रम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से 9 दिनों तक घटित हुआ इसलिए शारदीय नवरात्र पितृ पक्ष के समापन के बाद आश्विन मास में शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होकर नवमी तक मनाया जाता है। माँ दुर्गा आदिशक्ति का स्वरूप है। ये नौ दिन पूरी तरह से माँ दुर्गा और उनके आठ अवतारों के पूजन को समर्पित हैं। प्रत्येक दिन एक अवतार से जुड़ा है। इस प्रकार माँ दुर्गा, गौरी, काली, नारायणी, लक्ष्मी, सरस्वती, कौशकि, कात्यायनी आदि की भक्‍तगण पूरे श्रद्धा भाव से नौ उपासना करते हैं।

                           मां दुर्गा की अनुष्‍ठान विधि

      नवरात्रि के पहले दिन स्नान आदि कर निवृत्त हो जाएं। इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें, फिर पूजा स्थल पर चौकी रखें, उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। अब चौकी के पास मिट्टी के बर्तन में ज्वार बोएं। इसके बाद मां भगवती की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा के सामने चौकी पर कलश की स्थापना करें, कलश स्थापना के लिए सबसे पहले स्वास्तिक बना लें। कलश में दो सुपारी अक्षत, रोली और सिक्के डालें और फिर एक लाल रंग की चुनरी उस पर लपेट दें। फिर आम के पत्तों से कलश को सजाएं और उसके ऊपर पानी वाला नारियल रखें। दैवीय पुराण के अनुसार कलश को नौ देवियों का स्वरूप माना जाता है। कहा जाता है कि कलश के मुख में श्रीहरि भगवान विष्णु, कंठ में रुद्र और मूल में ब्रम्हा जी वास करते हैं। तथा इसके बीच में दैवीय शक्तियों का वास होता है। कलश स्थापना के बाद धूप दीप जलाकर देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आरती की जाती है।

      पूजा के अंत में आरती की जाती है। पूजन में अज्ञानता वश यदि कोई कमी रह जाए, तो आरती से उसकी पूर्ति होती है। कुमकुम, अगर, कपूर, घृत, और चंदन की 5 बत्तियां अथवा दीपक में रुई और घी की  बत्तियां बनाकर उन्हें प्रज्वलित कर शंख, घंटा आदि बजाते हुए आरती करनी चाहिए। इससे देवी प्रसन्न होती हैं। आरती के बिना देवी की पूजा आराधना अपूर्ण एवं निष्फल मानी जाती है।

          

                             बुराई पर अच्छाई का विजयोत्सव

  

        नौ दिन माँ दुर्गा और उनके आठ अवतारों के पूजन के बाद अंतिम दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है जो रावण पर भगवान राम की जीत का उत्सव है। कहते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम राजा राम ने भी लंका विजय से पूर्व माँ की आराधना कर आशीर्वाद और अनुमति ली थी। अतः, वो माँ शक्ति के आशीर्वाद के कारण ही जीते।

                             स्त्रीत्व पूजा का पर्व नवरात्र

       नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्र पर्व सही अर्थ में स्त्रीत्व पूजा का पर्व है। किसी भी समाज में स्त्री के अस्तित्व और उसके सामर्थ्य के प्रति कृतज्ञता को प्रदर्शित करता ऐसा त्योहार देखने को नहीं मिलता।

 

                                     श्रद्धा व साधना का पर्व नवरात्रि

       मनुष्य जीवन की अंतिम नियति यह है कि वह जीवन धरा के साथ मिल जाए ईश्वर के साथ एकाकार हो जाए। अतः अपने चेतना को जागृत करने के लिए भारतीय संस्कृति में पुराणों और शास्त्रों में तप साधना और व्रत का विधान बताए। सत्य की खोज का आधार श्रद्धा है और इसके बिना गती नहीं है। काम में श्रद्धा नहीं तो प्रगति नहीं। भाव में श्रद्धा नहीं तो भक्ति नहीं। प्रेम में श्रद्धा नहीं तो ढाई अक्षर कोई मायने नहीं रखता। आदर, श्रद्धा का चादर ओढ़े रहता है।

                   मानिसक संतुलन प्राप्‍त करने का पर्व नवरात्र

       मानसिक शक्तिशरीर का वह अनुलनीय शक्तिपुँज है, जो प्रतिपल परिदर्शित होता है, हमारे कर्म और चमत्कारों के सृजन के रूप में, और परमपिता परमेश्वर एवं प्रकृति को आत्मसात करने की चेतना देता है।

     आज अपनी मानसिक क्षमताओं को पहचानने, समझने, उन्नत करने व उनका समुचित उपयोग करने का पर्व है नवरात्र। इस तरह मनुष्य अपने मनकी विषम भावनाओं जैसे; काम, क्रोध, लोभ-मोह, ईष्या-द्वेष, और व्यसन-आलस्य को त्यागकर मां दुर्गा की उपासना करते हुए वास्तविक सुख की अनुभूति करते है। मनुष्य जीवन की अंतिम नियति यह है कि वह जीवन धारा के साथ मिल जाए ईश्वर के साथ एकाकार हो जाए।

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