अब तो जागो


 अब तो जागो
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लोभ मोह जाले में पढ़ता।
ईर्ष्या पाले यौं अकड़ता।।

देख किसी को मन जलता।
पाप हृदय में तब है पलता।।

मुरख मन अब तो तू जाग।
लोभ मोह ईर्ष्या को त्याग।।

साफ निर्मल मन कर रख।
परमानन्द  रस तब चख।।

बहुत सो लिया नयन खोल।
मद में भौंरे सा मत डोल।।

जीवन तेरा पोलम-पोल।
खुल जाएगी तेरी पोल।।

मन हरसे ऐसा कुछ बोल।
वाणी में तू मधु रस घोल।।


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