कभी हँसाती, कभी रुलाती कभी रूठती, कभी मनाती हर पल लेती इम्तिहान मत होना तुम परेशान सुख दुख संग सहेली जीवन एक पहेली। कभी सरल तो, कभी कठिन कभी पास तो कभी फैल कुछ पाना, कुछ खोना जो होना, सो होना यह जीवन का गाना सुख दुख संग सहेली जीवन एक पहेली।
मुफ्त नहीं मिलता सब कर्मों का खेला कोई है कंगाल कोई मालामाल कोई दाने को तरसे कोई पेट भरेला सुख दुख संग सहेली जीवन एक पहेली।
क्या लेकर आया क्या लेकर जाना क्या तेरा क्या मेरा संग नहीं कुछ जाना आया तू अकेला जाना भी अकेला जीवन है एक मेला मतकर ठेलमठेला सुख दुख संग सहेली जीवन एक पहेली। रूप रंग दो दिन का माटी में मिल जाना मत कर इतना मान गुमान आया तू अकेला जाना भी अकेला बात कही सच मान सच्चा ये आतम ज्ञान रख मुख पर मुस्कान बन सच्चा इंसान सुख दुख संग सहेली जीवन एक पहेली। चलनाही तो जीवन है
घर और उसका प्रभाव-बच्चों में संस्कार दे
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मनुष्य के विकास को ले कर एक बार एक प्रयोग किया गया. दो बच्चों को उन के
जन्मते ही घने जंगल में गुफा के भीतर रख दिया गया. उन्हें खाना तो दिया जाता
था...
इसमें फूल भी है, काँटे भी है, गम के संग खुशी भी है।चुन लो आपको जो अच्छा लगे। शब्दों की कमी इस संसार में नहीं है- पर उन्हें चुन-चुन कर मोती सा मूल्यवान बनाना बड़ी बात है। बस ज्ञान-विज्ञान, भाव-अभाव, नूतन-पुरातन, गीत-अगीत, राग-विराग के कुछ मोती चुन रहा हूँ। कुछ अतीत, वर्तमान व भविष्य के ज्ञान मोतीयों से मन के धागे में पिरोकर कविता, कहानी, गीत व आलेखों से सजा गुलदस्ता आपको सादर भेंट।
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