नव वर्ष (दो गीत)


(1)

हर्ष-हर्ष है नया वर्ष है,

लक्ष्य नये संघर्ष नये।

छोड़ पुरानी बातों को अब,

स्वप्न सजाए नये-नये।।


      (01)


जात धर्म से ऊपर उठ कर

हम ना उलझे मतभेदों में।

मानवता यह धर्म हमारा,

सब लिखा हुआ है वेदों में।।

छोड़ विवादों की बातों को

अब गीत सुनाए नये-नये।।


    (02)


ले विश्वासों की हाथ मशालें

हम आशा दीपक जलने दे।

नफरत की हम तोड़ दीवारें,

बस प्रेम हृदय में पलने दे।।

शब्द बाण जो लगे हृदय में

हम फूल उगाए नये-नये।।


(02)

नया साल अब आया है

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आया है मन भाया है-2

नया साल अब आया है,

नया साल है नए साल की

खुशियों के संग,

सारा जग मुसकाया है। 

आया है मन भाया है...

नए साल की नई किरणों से,

नई-नई उम्मीद करें-2

छोड़ उदासी अधरों पर हम,

आज नई मुस्कान धरें-2

हर दिल में ही आज,

नया रंग छाया है,

नया साल है नए साल की,

खुशियों के संग,

सारा जग मुसकाया है। 

आया है मन भाया है...

बीत गए दिन दुःख दर्दों के,

खुशियों के दिन आए है-2

नए साल की नई सोच संग

नया सबेरा लाए है-2

जन-जन के मन में,

विश्वास जगाया है,

नया साल है नए साल की,

खुशियों के संग,

सारा जग मुसकाया है। 

आया है मन भाया है...


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