नहीं चाहिए उम्र ये पचपन।
बस लौटा दो मेरा बचपन।।
ले लो झूठी शानोशौकत।
दे दो भोली वही नजाकत।।
धूल मिट्टी में फिर से खेलूं।
बाग बगिया अमुआ झुलूं।।
वह कदंब की हरिया डाली।
रामू काका सुरिया माली।।
स्वछंद खेलना खो गया ।
जीवन मशीनी हो गया।।
नहीं चाहिए ऐसा जीवन।
लौटा दो मेरा भोलापन।।
दादा दादी नाना नानी।
फिर सुनाए मुझे कहानी।।
छमछम आए बरषा रानी।
कटती जाए ये जिंदगानी।।
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