जग में नाम कमाना तुम,
कुछ अच्छा कर जाना तुम।।
(भाव गीत)
भले काम पहले कर लेना
फिर इस जग से जाना तुम।
समय रहते कर लेना काम
फिर बाद में न पछताना तुम।।
कुछ अच्छा कर जाना तुम...
जात पात के चक्कर में
भूले से नहीं आना तुम।
मानवता व देश प्रेम की
घर-घर अलख जगाना तुम।
कुछ अच्छा कर जाना तुम...
रिश्तों में कहीं घुले जहर
झट अमृत बन जाना तुम।
जो अपनों से ही रूठे है
आपस में उन्हें मिलना तुम।।
कुछ अच्छा कर जाना तुम...
दिखे कहीं गर तुम्हें अंधेरा
ज्ञान का दीप जलाना तुम।
पथिक भूले राह कहीं तो
झट से राह दिखाना तुम।।
कुछ अच्छा कर जाना तुम...
गर मिल जाए जरा रूपया
इस पर न इतराना तुम।
ऊंच नीच व भेदभाव की
हर दीवार गिरना तुम।।
कुछ अच्छा कर जाना तुम...
निंदा चुगली कभी न करना
कभी न बैर सीखना तुम।
उड़े छल कपट के छीटे
मन की मैल छुड़ाना तुम।।
कुछ अच्छा कर जाना तुम...
डॉ. कैलाश मंडलोई "कदंब"
खरगोन मध्यप्रदेश
9575419049
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