गर्मी आई (बाल कविता



देखो सूरज दादा आज
कैसे बने आग का गोला।
बच्चे दौड़ खूब लगाए
खाए बरफ का गोला।।

टप-टप टप-टप गिरे पसीना।
गर्मी का आ गया महीना।।
अब तो गर्मी जाए सही ना।
अब तो चैन आए कहीं ना।।

सुबहें गरम है शामें गरम।
दिन भी गरम है रातें गरम।।
छत भी गरम है आंगन गरम।
गर्मी को नाहि आए  शरम।।

अब रात-दिन पंखे चले
पर गर्मी होय न कम।
तन से बहे खूब पसीना।
हर पल निकले दम।।

सूरज दादा मान भी जाओ
गर्मी थोड़ी कम दिखाओ।
हम बच्चों पर रहम दिखाओ
दादा होने का धर्म निभाओ।।

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