क्षमा भगवन कृपालु, गूढ़ बात सरल शब्दों में कहना आता नहीं में यह बोल-कुबोल बोल रहा हूं वाह कैसा मुखड़ा है ये मुखड़ा है कि थोबड़ा ऐसे बेसिरे मुंहों को चाहे मुखड़ा क…
Read more »जीवन! जीवन क्या है? धीरे-धीरे मरने का नाम ही तो जीवन है। मैं धीरे धीरे मर रहा हूँ। सभी धीरे-धीर मरते हैं। पर धीरे-धीरे मरना आसान थौड़े ही है। लेकिन मरना तो है,…
Read more »जब मनुष्य को प्रकृति ने पैदा किया तो उसमे अनेक गुणों के साथ 'जिज्ञासा' नाम का गुण भी डाल दिया, और अपने सारे रहस्यों पर पर्दा डाल दिया। जिज…
Read more »मातृ दिवस पर माँ की महिमा (दोहे) ------------------------- माँ की ममता त्याग से, पले बढ़े इंसान। रक्त कणों से सींच कर, तन में डाले जान।।1।। …
Read more »संस्कृति ही समाज की आत्मा होती है। भारतीय संस्कृति सदियों से विश्वव्यापी विशाल क्षेत्र की एक महत्त्…
Read more »सोनू आज एक नए और मजेदार खलौने लट्टू से खेलना सीख रही है। वह लट्टू पर रस्सी लपेटकर उसे जमीन पर घूमाने का प्रयास कर रही है। लेकिन उसका लट्टू घूम नह…
Read more »(विश्व मजदूर दिवस पर लघु कथा) बुदनी ------------------ सेठजी का आलीशान बंगला है। सामने लाना लगी है। एक छोटा सा गार्डन भी है जिसमें नई नवेली सेठानी र…
Read more »किसे सुनाए ? सुने कौन? (विश्व मज़दूर दिवस पर) जन की दारुण …
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