मातृ दिवस पर माँ की महिमा (दोहे)
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माँ की ममता त्याग से, पले बढ़े इंसान।
रक्त कणों से सींच कर, तन में डाले जान।।1।।
सुख की चाह में भटके, यहाँ वहाँ नादान।
माँ की गोदी में छिपा, सच्चा सुख तू जान।।2।।
जो जन जान सका नहीं, ममता का बलिदान।
कौन कहे मानव उसे, पशु सम उसको जान।।3।।
मिली है माँ की ममता, मिल गया भगवान।
हर सुख का सागर मिला, मिला मान सम्मान।।4।।
जनम-जनम गुण गान हो, मानो तुम उपकार।
दूध का कर्ज अब चुका, हो जा भव से पार।।5।।
जब भी चोट लगे मुझे, माँ को पीढ़ा होय।
मेरे मुख देखे हँसी, माँ का मन खुश होय।।6।।
माँ के चरणों में छुपी, आशीषों की खान।
आ नेह की छाँव तले, होय वीर बलवान।।7।।
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