आज आधुनिकता के दौर में सामाजिक मूल्यों एवं नैतिकता का पतन हो रहा है। आज हमारा समाज और राष्ट्र संधिकाल के दौर से गुजर रहे है। कुछ रूढिवादिता कम हुई है तो वहीं सामाजिक बन्धनों में ढिलाई भी आई है। आज भी अनेक बुराइयां समाज मे व्याप्त है जिनके विरूद्ध खड़े होने एवं उनको समाप्त करने की हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। न हम बुराई को अपनाएंगे और न किसी को बुराई का शिकार होने देंगे। जहां राष्ट्र के प्रति हमारी जिम्मेदारी की बात है तो हमे एक राष्ट्रप्रेमी होकर तन मन धन से समर्पण करना होगा। इसके लिए हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम ऐसा कोई भी कार्य नहीं करें जिससे राष्ट्र को नुकसान हो। हम समानता सद्भाव आपसी भाईचारे की भावना से आपस में एक दूसरे से ऐसा व्यवहार करें कि देश मे अमन चैन हो एवं सभी का आर्थिक एवं सामाजिक विकास हो यही हमारी समाज एवं राष्ट्र के प्रति नैतिक जिम्मेदारी है।
हम अपने निहित कार्य को सच्ची लगन ईमानदारी एवं समर्पण एवं अथक परिश्रम से पूरा करें तो हम सच्चे अर्थों में समाज एवं राष्ट्र की ही सेवा कर रहे है। भृष्टाचारी बेईमानी, रिश्वतखोरी, हरामखोरी, बदनीयती, बदचलन से बचना एवं इनके खिलाफ आवाज उठाकर एक स्वच्छ समाज का निर्माण करना ही सच्ची राष्ट्र भक्ति है। क्योंकि एक साफ स्वच्छ एवं उच्च आदर्शो वाले समाज में ही सच्चे राष्ट्र भक्त पैदा होते हैं।
आज सामाजिक बन्धनों की ढिलाई के फलस्वरूप लोगों में नैतिक पतन के लक्षण साफ नजर आ रहें हैं। समाज में आदर्श एवं मान सम्मान की भावना का ह्रास हो रहा है। उच्छ्रंखलता का नाच शहरों से लेकर गांवों तक देखा जा सकता है। हम अपनी वैदिक संस्कृति, वसुधैवकुटुंकम को भूलते जा रहे है। देश में बढ़ते वृध्दाश्रम एवं विघटित होते परिवार इसका प्रमाण है। आज जाति धर्म क्षेत्र की राजनीति भी राष्ट्रीय एकता में बाधक है।
अतः इन सब विद्रूपताओं के विरुद्ध आवाज उठाकर एक स्वच्छ समाज एवं राष्ट्र निर्माण में अपनी तन मन धन से सेवा अर्पित करना ही हमारी समाज एवं राष्ट्र के प्रति सच्ची जिम्मेदारी है। आओ हम सब मिलकर एक बेहतर समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में सहयोग दे।
1 टिप्पणियाँ