बसंत पंचमी-माँ सरस्वती वंदना

    

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1-(माँ सरस्वती वंदना)

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हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी

वंदन बारंबार है-2

वीणा पुस्तक धारी माँ

तेरी महिमा अपरंपार है।।-2


हम बालक है शरण तिहारे

आस लगाए खड़े है द्वारे

खाली झोली भर दे मैया

आजा तेरे भक्त पुकारे

तू दानी है महा ज्ञानी है

तेरी महिमा अपरंपार है।

हँस वाहिनी ज्ञान दायिनी

वंदन बारंबार है-2


आन बसो माँ कंठ हमारे

स्वरों की झंकार बजा दो

मिट जाए अंधियारा सारा

मन में ज्ञान ज्योत जला दो

ज्ञानमयी कल्याणी माँ

तेरी महिमा अपरंपार है।

हँस वाहिनी ज्ञान दायिनी

वंदन बारंबार है।-2


2-(माँ सरस्वती वंदना)       

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वर दे, वर दे, वर दे माँ

(माँ सरस्वती वंदना)

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वर दे, वर दे, वर दे माँ

वीणा वादिनी वर दे माँ

दे भक्ति का वर दे माँ। वर दे...


मात शारदा ऐसा वर दे 

हूँ अपावन पावन कर दे

भक्ति- भाव हृदय में भर दे माँ। वर दे...


मिटा हृदय अज्ञान तिमिर

जला ज्ञान की ज्योत उर

भक्ति से मन आलोकित कर दे माँ। वर दे...  


चरण पड़ा है दास तुम्हारा 

लाखों दोष भरे है मुझमें

दोष रहित मुझको कर दे माँ। वर दे... 


भटक रहा हूँ मारा-मारा

मिले न मुझको कोई सहारा

नैया मेरी भवपार लगा दे माँ। वर दे...


मधुर कंठ से गुंजे जग सारा 

उजड़े मन को सावन कर दे

राग-रागिनी से मन भर दे माँ। वर दे... 

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2 टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
भक्तिभाव से परिपूर्ण बहुत ही सुन्दर रचना।ईश्वर आपको अभीष्ट की प्राप्ति में सहायक हो।