इज्ज़त के लिए ठाट-बाट नहीं ईमानदारी व जिम्मेदारी जरूरी

 


      किसी की इज्जत उसके ठाट-बाट या कौशल के आधार पर नहीं इस आधार पर होती है कि उसने किस प्रकार के काम को कितनी इमानदारी और जिम्मेदारी से पूरा किया है।इसलिए अपने काम में कौशल के साथ ईमानदारी और जिम्मेदारी जरूरी है।  

    कीचड़ में लोटने वाला सूअर उस मनुष्य से अच्छा है जिस के जीवन का नियंत्रण उच्च नियमो द्वारा नहीं होता । तुम कौन हो और क्या करते हो, इससे कोई मतलब नहीं। चाहे किसान के लड़के हो, चाहे व्यापारी हो, चाहे क्लर्क हो, या किसी अच्छे पदपर आसीन अफसर, अधिकारी हो, तुम्हारे जीवन का एक मात्र उद्देश्य यह होना चाहिए कि सबके साथ न्याय, सच्चाई तथा ईमानदारी का व्यवहार करें। क्या छोटा क्या बड़ा, सबके साथ निष्कपट आचरण से मिलना चाहिए धोखे का काम कदापि नहीं करना चाहिए। भूलकर भी किसी के अपकार का विचार मन में न लाना चाहिए। यथाशक्ति परोपकार में ही लगे रहना चाहिए। इसका परिणाम यह होगा कि अन्य लोग भी तुम्हारे साथ वैसी ही ईमानदारी और सच्चाई के साथ पेश आयेंगे। तुम्हें धोखा खाने का भय न रहेगा। तुम्हारी गणना उच्च कोटि के लोगो में होगी। सभी तुम्हें उदार तथा सम्मान की दृष्टि से देखेंगे। सच्चे मनुष्यत्व के आनन्दका तुम्हें अनुभव होगा। तुम्हें वह स्थान प्राप्त होगा जो करोड़ों रुपये मैं नहीं खरीदा जा सकता ।

     इमानदारी से काम करने से, सच्चाई का व्यवहार करने से, मनुष्य को उचित लाभ प्राप्त होता है, निष्कपट व्यवहार से चिन्तको सन्तोष होता है, बुद्धि स्वतन्त्र होती है, जिससे आनन्दका अनुभव होता है। केवल इतना ही नहीं, आर्थिक लाभ भो यथेष्ट होता है। तुम्हारी इच्छा क्या है, इसकी चिन्ता न करो। अपनी लालसाओं के फेर में न पड़ो। सफलता प्राप्त करनेके लिए तुमको अधिक समय तक किसी विशेष कार्यमें सलग्न रहना पड़ेगा। एक खास क्षेत्रमे तुम्हें अपनी शक्तियाँ लगा देनी पड़ेगी । धैर्य्य का अवलम्बन करना पड़ेगा। स्वावलम्बी बनना होगा । यदि तुम बेईमानी करोगे, कपट से काम लोगे तो मुश्किल है। किसी लापरवाह के यहाँ तुम्हारी बेईमानी का पता सम्भव है, देर से लगे, परन्तु लगेगा अवश्य, देर या अबेर । जब तुम्हारी चाल पकड़ी जायगी, जब तुम्हारे कपट का भण्डाफोड़ होगा, तो तुम्हारे सब किये कराये पर पानी फिर जायगा। तुम निकाल बाहर किये जाओगे और तुम्हें अपने जीवन को फिर से मारम्भ करना होगा तुम्हें निम्नतम श्रेणी से पुनः कार्यारम्भ करके ऊपर उठने का प्रयत्न करना पड़ेगा ।

ऐसे अवसर भी आ सकते हैं जब तुम्हें बेईमानी के काम के बदले उत्तम पुरस्कार मिल जाय । परन्तु बड़ा से बड़ा आर्थिक लाभ तुम्हें क्यो न हो जाय, पर यह अवश्य ध्यान रखना कि तुमने अपने को बड़े सस्ते मूल्य में बेच दिया। थोडे से रुपयो के लालच में आकर तुमने उस चीज को गँवा दिया जो अमूल्य है । इस भारी क्षति की पूर्ति बड़ी से बड़ी रुपयो की संख्या नहीं कर सकती । निस्सन्देह तुमने यह सौदा बहुत बुरा किया ! अमूल्य रत्नको काँच के भाव विक्रय किया । यदि तुम सच्चाई पर डटे रहते, यदि तुम यह प्रकट कर देते कि तुम किसी भी मूल्य से परे हो; यदि तुम डंके की चोट यह जाहिर कर देते कि रुपयो में यह शक्ति नहीं जो तुम्हें धर्म तथा सत्यता के पवित्र मार्ग से विचलित कर बेईमानी के कार्य में प्रवृत्त कर सके, तो तुम्हें वह धन प्राप्त होता जिसकी महत्ता तथा श्रेष्ठता की माप करना मानवशक्तिसे परे है।

जीवन का कार्य दृढ संकल्प तथा स्थिर नियमो के साथ आरम्भ करो । निश्चित लक्ष्य को सदा सामने रखो और निरन्तर कदम बढ़ाते जाओ। मार्ग में अनेक कठिनाइयाँ मिलेंगी, जो कष्टसाध्य प्रतीत होगी। परन्तु वीरता पूर्वक उन का सामना करना होगा। घबड़ाकर कार्य विमुख होना नामर्दो का काम है । सम्भव है, सलाह देनेवाले भी तुम्हें सच्चा मार्ग न बता सकें। परन्तु तुम किसी फेरमें न पड़ो । अपने संकल्पको देखो और ईश्वरीय नियमो की ओर ध्यान दो। हृदय में साहसको स्थान दो । उत्साह भंग न होने दो। सदा प्रसन्न चित्त रहो और अन्तःकरण की गुप्त शक्ति के निर्देश पर सदा पूर्ण दृष्टि रखो। विश्वास रखो, यह ईश्वरीय शक्ति है, जो सदा भले बुरे की पहचान कराती है। आवश्यकता केवल इस बात की है कि इसके आदेशो का सच्चे हृदय से पालन किया जाय। यदि तुम इसकी शिक्षा पर ध्यान न दोगे, यदि तुम इसके शब्दो को सुनते हुए भी अनसुनी कर दोगे, यदि तुम बार-बार इसके आदेशो की अवहेलना करोगे, तो वह शक्ति निर्बल होती जायगी और अन्त में वह मृतप्राय हो जायगी। फिर तुम अँधेरे में भटकते फिरोगे । संसार के कूड़े करकट में तुम्हारी गणना होगी। जीवन की सफलता से कोसों दूर रहना पड़ेगा। जीवन मरण तुम्हारे लिए समान होगा । सच तो यह है कि ऐसी जिन्दगी से मर जाना श्रेयस्कर है।

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