स्काउटिंग के जन्म दाता बेडेन पावेल के जन्मदिन पर उनका स्काउटों को अंतिम सन्देश .........
प्रिय स्काउटों,
यदि तुमने कभी "पीटर मेन" नाटक देखा है तो तुम्हे याद होगा कि किस प्रकार वह डाकुओं का सरदार सदा अपना मृत्यु कालीन भाषण देता रहता है क्योंकि उसे भय था उसके मन की बात मन में ही न रह जाए। लगभग वैसी ही स्थिति हमारी भी है,यद्यपि मै इस क्षण मर नही रहा हूं, फिर भी किसी न किसी दिन मर जाऊँगा और इसलिए मै तुम्हे बिदाई का यह सन्देश भेजना चाहता हूं। याद रखो ,यह मेरा अंतिम सन्देश है, इसलिए तुम इस पर विचार करो......
मेरा जीवन प्रसन्ता से परिपूर्ण रहा है और मै चाहता हूं कि तुम सबका जीवन भी प्रसन्ता से इसी प्रकार भरा पूरा रहे......
मेरा विस्वास है कि भगवान ने हमे इस मंगलमय विश्व मे प्रसन्न रहने और जीवन का आनन्द उठाने के लिए भेजा है......प्रसन्ता न तो धनवान होने से मिलती है और न केवल अपने जीवन में सफलता पाने या सांसारिक विषय भोगों में लिप्त रहने से। प्रसन्ता प्राप्त करने की दिशा में एक कदम यह है कि बचपन से ही अपने आपको स्वस्थ और मजबुत बनाओ जिससे की तुम समाज व देश के ललिए उपयोगी बन सको और इस तरह देश की सेवा करते हुऐ वृद्ध हो जाने तक अपने जीवन का आनन्द उठा सको। प्रकृति निरीक्षण से तुम्हे पता लगेगा कि ईश्वर ने आनन्द के लिए कितना सुन्दर और अदभुत वस्तुओ से भरा पूरा यह संसार तुम्हारे लिए बनाया है। तुम्हारे पास जो कुछ भी है उसी में सन्तुष्ट रहो और उसका अच्छे से अच्छा उपयोग करो। सभी वस्तुओं के उज्ज्वल पक्ष की ओर देखो, अंधेरे की ओर नही।
किन्तु प्रसन्ता प्राप्ति का सच्चा उपाय दुसरो को प्रशन्नता प्रदान करना है। इस संसार को तुमने जैसा पाया है उससे कुछ अच्छा बनाकर छोड़ जाने के लिए प्रयत्नशील रहो और जब तुम्हारा इस संसार से विदा होने का समय आए तो तुम इस अनुभूति के कारण प्रसन्नता से मृत्यु का आलिंगन कर सको कि कुछ भी हो तुमने अपना समय व्यर्थ नही गंवाया है वरन् स्थितियो को सुन्दरतम बनाने के लिए अपना भरसक प्रयत्न करते रहे हो। इस प्रकार प्रसन्ता पूर्वक मरने के लिए तैयार रहो। ये बातें उस समय भी याद रखो जब कि तुम बालक न रहकर बड़े हो जाओ। भगवान इस पूरे जीवन को उपरोक्त तरह से जीने में तुम्हारी सहायता करे।
हमेशा तुम्हारे साथ और तुम्हारा मित्र
बेडेन पावेल
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