बैल दीवाली ,गोवर्धन पर्व और अन्नकूट उत्सव की सपरिवार बधाई एवं शुभकामनाएं..
*बैल दीवाली*
बैल- दीवाली , बिन बैल है खाली ,
आओ मनाएं हम सूनी दीवाली ।
कोना भी सूना है ,आँगन भी रूना है ,
माँ और बेटे की हर बात है खाली ।
कृषक-भाई (बैल ) ठोकर ही खाए है,
कृषक के लिये है कहाँ खुशहाली ।
कम कहीँ नहीँ था ,कमजोर नहीँ था ,
मशीन की तुलना में था बलशाली ।
पर भाई को जान ,इक निरा जानवर ,
किया किसान ने उसे बदहाली ।
कमाई से जिसकी ये भारत पला था ,
आज है बस उसकी कटवाली।
बेटा ही जब कत्लखाने चढ़ा हो ,
करे कौन अब गौमाता रखवाली ।
पुरातन को खोकर नए को है पाला,
उन्नति की चाल अजब मतवाली ।
सौ से घट कर अब साठ रह गयी ,(औसत उम्र)
अब भी कहते हो मशीन निराली ।
खोजो ढूंढो अनुसन्धान करो तुम ,
जो है उसको अब कैसे सम्भाली ।
कृषक फिर से कृष् ही न बन जाए ,
आत्महत्या का वो बने सवाली ।
समय अब भी है संभलो-संभालो ,
'अजस्र' दीपावली न हो फिर काली ।
✍✍ *डी कुमार--अजस्र(दुर्गेश मेघवाल,बून्दी/राज)*
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