संविधान गीत
*देश में सबसे ऊपर है संविधान तू ....*
जनता की अभिलाषा का सम्मान तू ।
देश में सबसे ऊपर है संविधान तू ।
भारत की छवि तुझमे हमको दिखती है ।
देश को तुझसे ही गरिमा मिलती है ।
जय हो तेरी भारत का अभिमान तू ।
देश में सबसे ऊपर है….
गणतन्त्र बनाकर तूने जो उपकार किया ।
सब जन को कर्तव्य दिया अधिकार दिया ।
अधिकार बनाकर तुझको अपना मान लूँ ।
देश में सबसे ऊपर है …
प्रारूप जो तेरा भीम राव ने बनाया है ।
देश के सब जन का मन यूँ हर्षाया है ।
हिन्द जनों के सपनों की है उड़ान तू ।
देश में सबसे ऊपर है ….
आजादी का तूने सच्चा सुख है दिया ।
संघ बनाकर देश को सम्प्रभु है किया ।
जनता की सरकारों में है जान तू ।
देश में सबसे ऊपर है ….
लोकतन्त्र का सबसे बड़ा आगार है ।
वयस्क जनों के मत का भी अधिकार है ।
अधिकारों में सबसे बड़ा अधिकार तू ।
देश में सबसे ऊपर है….
नियम ज्योति से देश को राह दिखाता है ।
न्याय धर्म पर आगे हमको बढ़ाता है ।
देश की अस्मिता का प्रतिमान तू ।
देश में सबसे ऊपर है …
निरपेक्ष पन्थ है समता है समाजों की ।
प्रार्थना ,पूजा लड़िया है नमाजों की ।
सर्वधर्म का विकास है उत्थान तू ।
देश में सबसे ऊपर है …
संस्कृतियों की विविध विविध पहचान है ।
माला यूँ गुंथी जैसे इक जान है ।
खिलते फूलों सी है, ' अजस्र ' मुस्कान तू ।
देश में सबसे ऊपर है ….
जनता की अभिलाषा का सम्मान तू ।
देश में सबसे ऊपर है संविधान तू ।
✍🏻 *डी कुमार --अजस्र (दुर्गेश मेघवाल, बून्दी/राज.)*
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