पाती सैनिक सपूत की

Published from Blogger Prime Android App

       *जी जान से देश की रक्षा करते हुए शहीद होने वाले  शहीदों को आज 16 दिसंबर(विजय दिवस) पर अश्रुपूरित शब्दांजलि सहित नमन के साथ समर्पित रचना.......*

    🙏🙏💐💐🌹🌹🌸🌸🇮🇳🇮🇳💐💐🌸🌸🌹🌹🙏🙏


       *पाती सैनिक-सपूत की*



आऊंगा मैं तुझसे मिलने ,माँ मेरी ए ,

खाकर कसम तेरी कहता हूं ।

देश-तिरंगे का मान बढ़ाने को ,

तुझसे दूर मैं रहता हूँ ।

आऊंगा मैं तुझसे मिलने…….


चिट्ठी तेरी मुझको आई है जो माँ ,

मेरा ही हाल तूने पूछा है ।

मन में छुपा लिया दुख अपना ,

तेरा मेरे सिवा कौन दुजा है ?

जानू तेरे मन की पीड़ा पर,

तुझसे कभी ना मैं कहता हूँ ।

आऊंगा मैं तुझसे मिलने……


माँ(भारत माँ) के लिए ,माँ ही कैसे, 

देखो आंचल में दुख को छुपाती है ?

तू तो छुपा ले यह बात भले ही,

पर मुझको तेरी याद आती है ।

आँचल से तेरे मैं दूर हुआ पर,

गोद में माँ (भारत माँ) की मैं रहता हूँ ।

आऊंगा मैं तुझसे मिलने ……


तिरंगा वो झुकने कभी नहीं पाए,

मुंडेर पर अपने जो लहराता ।

उसकी शान के खातिर ही तो ,

मैं तुझसे ना मिलने पाता ।

करते हुए ' सीमा ' रखवाली मैं,

देशभक्ति में ही बहता हूँ ।

आऊंगा मैं तुझसे मिलने…..


देश-दुश्मन की जो खाकर गोली ,

सपूत देश का वो सिद्ध हुआ ।

दस आतंकी को ढेर करके जो,

मित्र  ' अजस्र ' मेरा ,शहीद हुआ ।

तिरंगे में लिपटा उसको देखकर ,

जय-जय हिंद मैं कहता हूँ ।

आऊंगा मैं तुझसे मिलने……


तू भी मुझको दे दे आशीष ये,

देशहित में कुछ कर जाऊं मैं ।

तुझसे शीघ्र भले ,ना मिल पाऊं ,

भारत माँ के ही काम आऊँ मैं ।

जाने को उस कर्तव्य पथ पर ही ,

मैं भी संवरता रहता हूं ।

आऊंगा मैं तुझसे मिलने ….


गर ऐसा हो तुझसे मिलूं पर ,

कुछ भी बोल ना पाऊं मैं ।

गर्व से सिर पर हाथ फेरना ,

लिपट तिरंगे में आऊँ मैं ।

चरणों को तेरे ,दूर से ही छूके ,

' अजस्र '  ' धन्य मां ' कहता हूँ ।

आऊंगा मैं तुझसे मिलने मां मेरी ए ,

खाकर कसम तेरी मैं कहता हूँ।

देश-तिरंगे का मान बढ़ाने को ,

तुझसे दूर मैं रहता हूँ ।


       ✍️✍️ *डी कुमार --अजस्र (दुर्गेश मेघवाल, बून्दी/राज.)*

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ