*जी जान से देश की रक्षा करते हुए शहीद होने वाले शहीदों को आज 16 दिसंबर(विजय दिवस) पर अश्रुपूरित शब्दांजलि सहित नमन के साथ समर्पित रचना.......*
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*पाती सैनिक-सपूत की*
आऊंगा मैं तुझसे मिलने ,माँ मेरी ए ,
खाकर कसम तेरी कहता हूं ।
देश-तिरंगे का मान बढ़ाने को ,
तुझसे दूर मैं रहता हूँ ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने…….
चिट्ठी तेरी मुझको आई है जो माँ ,
मेरा ही हाल तूने पूछा है ।
मन में छुपा लिया दुख अपना ,
तेरा मेरे सिवा कौन दुजा है ?
जानू तेरे मन की पीड़ा पर,
तुझसे कभी ना मैं कहता हूँ ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने……
माँ(भारत माँ) के लिए ,माँ ही कैसे,
देखो आंचल में दुख को छुपाती है ?
तू तो छुपा ले यह बात भले ही,
पर मुझको तेरी याद आती है ।
आँचल से तेरे मैं दूर हुआ पर,
गोद में माँ (भारत माँ) की मैं रहता हूँ ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने ……
तिरंगा वो झुकने कभी नहीं पाए,
मुंडेर पर अपने जो लहराता ।
उसकी शान के खातिर ही तो ,
मैं तुझसे ना मिलने पाता ।
करते हुए ' सीमा ' रखवाली मैं,
देशभक्ति में ही बहता हूँ ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने…..
देश-दुश्मन की जो खाकर गोली ,
सपूत देश का वो सिद्ध हुआ ।
दस आतंकी को ढेर करके जो,
मित्र ' अजस्र ' मेरा ,शहीद हुआ ।
तिरंगे में लिपटा उसको देखकर ,
जय-जय हिंद मैं कहता हूँ ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने……
तू भी मुझको दे दे आशीष ये,
देशहित में कुछ कर जाऊं मैं ।
तुझसे शीघ्र भले ,ना मिल पाऊं ,
भारत माँ के ही काम आऊँ मैं ।
जाने को उस कर्तव्य पथ पर ही ,
मैं भी संवरता रहता हूं ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने ….
गर ऐसा हो तुझसे मिलूं पर ,
कुछ भी बोल ना पाऊं मैं ।
गर्व से सिर पर हाथ फेरना ,
लिपट तिरंगे में आऊँ मैं ।
चरणों को तेरे ,दूर से ही छूके ,
' अजस्र ' ' धन्य मां ' कहता हूँ ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने मां मेरी ए ,
खाकर कसम तेरी मैं कहता हूँ।
देश-तिरंगे का मान बढ़ाने को ,
तुझसे दूर मैं रहता हूँ ।
✍️✍️ *डी कुमार --अजस्र (दुर्गेश मेघवाल, बून्दी/राज.)*
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