असंभव से अ को हटा दो

_"असम्भव"____
सपने कौन नहीं देखता है सभी देखते हैं। लेकिन उसका कोई सपना पूरा नहीं हुआ। कारण वह सिर्फ सपनें देखता था, उनको पूरा करने के लिए उसके पास कोई कार्य योजना नहीं थी। फिर उसने सफल लोगों के जीवन में झांका। उसने देखा कि उनमें बहुत सी खूबियां थी जो उसमें नहीं थी। 
रोहन ने अपना कार्य पूरा किया। उसने शब्द (असम्भव) में से "अ" को ठुकरा दिया । कोई भी व्यक्ति जो ऐसा करता है, अवश्य प्रगति करता है।
    अधिकतर लोग बहुत तरह के प्रश्न पुछते है- वे कैसे चले, वे उस स्थान पर कैसे पहुचेंगे, इत्यादि ।
रोहन को ऐसी कोई आवश्यकता नही पड़ी। उसने केवल यह प्रतीत किया कि उसका क्या कर्तव्य है, और बाकि सब कुछ उसने बिना बोले , असम्भव में से "अ" को ठुकरा कर सम्पूर्ण किया। कोई भी व्यक्ति इस प्रकार करता है,निश्चित रूप से प्रगति करता है।

सफलता कहती है "कोई बहाने बाजी नहीं चलेगी, टाल मटोल व आलस्य से मै दूर हुं,"।

सुख और सफलता के मूल सिद्धांत

 "सदुद्देश्य" 

इस बात का जानना बुद्धिमानी है कि कौन सा काम पहले करना उचित है और उसके लिये कौन सा उपाय पहले काम में लाना चाहिए। किसी काम को बिना सोचे विचार शुरू कर देना, उसे भी शुरू से नियमानुसार न करके बीच से करना अथवा अंत से करना असफलता का चिह्न है। जो काम शुरू से नियमानुसार किया जाता है, उसी में सफलता होती है । विद्यार्थी पहले पहल बीजगणित और रेखागणित के प्रश्न को हल नहीं कर सकता। शुरू में उसे गिनती सीखनी पड़ती है और वर्णमाला का अभ्यास करना पड़ता है। धीरे धीरे कुछ काल के बाद उसमें बीजगणित और ज्यामिति के समझने की शक्ति आ जाती है । जितने ज्ञानी ध्यानी और सफलतम व्यक्तियों को तुम देखते हो, उन्होंने इस अवस्था को प्राप्त करने के लिये वर्षो धैर्य के साथ अभ्यास किया है और जनता के अनुभव से लाभ उठाया है । निशाना वही मनुष्य ठीक लगा सकेगा, जो निशाने की ओर अपनी दृष्टि रखता है और उचित समय पर बाण छोड़ता है।

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