गंगाराम पटेल दादा जो ग्राम रसगांव से है उनसे हुई एक भावपूर्ण मुलाकात । बहुत ही निर्मल हृदय के इंसान हैं जो उम्र में बहुत ही बड़े है पर वे मुझे मित्रवत मानते है। आजकल ऐसे इंसानों के दर्शन दुर्लभ है। हम दोनों मिलकर बहुत खुश हुए जिन्हें शब्दों में व्यक्त करना नामुमकिन है।
एक दिलचस्प भावनात्मक वाकिया गंगाराम दादा जी के साथ
एक बार दादा के घर एक कार्यक्रम था सो परिवार के सभी सदस्य बाहर गए थे। और ये घर में अकेले थे। इनके घर का दरवाजा अन्दर से बन्द था। ये अपने घर में खाना खाने के लिए भोजन की थाली तैयार कर बैठने ही वाले थे। तभी मैं इसके घर बाहर आकर खड़ा हुआ और गली में बैठे साथियों से बातें करने लगा। जैसे ही मेरी आवाज इनके कानों में पहुची। वे भीतर से बाहर आये दरवाजा खोला और बोले "कुण माड़साब आय" इतना कहकर मुझे भीतर बुलाया। तब अंदर जाकर उन्होंने मुझे बताया कि मैं खाना खाने बैठ रहा था और आपकी आवाज मुझे कानों में सुनाई दी तो मै तत्काल बाहर आपको देखने आ गया। इसलिए कि कही आप बाहर के बाहर निकल न जाओ। बस कुछ ऐसे भावुक हैं आदरणीय गंगाराम दादा पटेल जी जिंदादिल इंसान।
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