जिंदगी एक तमाशा पल में आशा पल में निराशा। क्या है जिंदगी, एक तमाशा? (1) कभी रुलाती कभी हँसाती कभी रूठती कभी मनाती कभी खिजाती कभी रिझाती कभी सुखाती कभी भ…
Read more »मकर संक्रन्ति पर्व मनाएं, तिल गुड़ के लाडू खाएं। चलो चले छत के ऊपर, रंग बिरंगी पतंग उड़ाएं। अति पावन यह दिन कहावे, दान पुण्य…
Read more »सर्दी ने हद कर दी स्वेटर पहने शाल ओढ़े फिर भी थरथर कांप रहे। मुंह से कुछ बोले नहीं मन ही मन से भांप रहें। बीवी ने चुप्पी तोड़ी पड़ी शाल भी ली ओढ़ी। खिड़की द्वा…
Read more »झूठ या सच ------------- झूठे लगते अब तो प्यारे, सच्चाई में कुछ दम नहीं। झूठे जीते और सच्चे हारे, सच सुनने की कूबत नहीं।। सच को झूठा साबित करता, झूठ ब…
Read more »वह भी चाहती खुश हो घर मैं भी चाहता खुश हो घर फिर भी ना जाने क्यों कर उग आते झगड़े के पर परिवार में मियाँ बीवी कभी वो तो कभी मैं हावी कोई कमी न थी घर में पर झगड़ा होता पलभर…
Read more »सवेरा लाया ज्ञान की पहली किरण... ------------------------------- सूर्य की नहीं, चन्द्र की नहीं सवेरा लाया ज्ञान की पहली किरण, आओ हम ज्ञानी बने। पाप की नहीं, …
Read more »महाराज बिबसार को निंद्रा नहीं आ रही थी। एक सन्यासी ने कह दिया था तुम को नरक में जाना पडेगा।' दूसरे दिन वह सन्यासी के पास पहुचा और कहने लगा …
Read more »क्षमा भगवन कृपालु, गूढ़ बात सरल शब्दों में कहना आता नहीं में यह बोल-कुबोल बोल रहा हूं वाह कैसा मुखड़ा है ये मुखड़ा है कि थोबड़ा ऐसे बेसिरे मुंहों को चाहे मुखड़ा क…
Read more »जीवन! जीवन क्या है? धीरे-धीरे मरने का नाम ही तो जीवन है। मैं धीरे धीरे मर रहा हूँ। सभी धीरे-धीर मरते हैं। पर धीरे-धीरे मरना आसान थौड़े ही है। लेकिन मरना तो है,…
Read more »मातृ दिवस पर माँ की महिमा (दोहे) ------------------------- माँ की ममता त्याग से, पले बढ़े इंसान। रक्त कणों से सींच कर, तन में डाले जान।।1।। …
Read more »किसे सुनाए ? सुने कौन? (विश्व मज़दूर दिवस पर) जन की दारुण …
Read more »जरा ध्यान लगाकर सुनो तो? ये कैसी आवाजें है? देखा नही पर सुना है किताबों में पढ़ा है पहले शास्त्रार्थ हुआ करते थे जीवन जीने के लिए आत्मा की मुक्ति के लि…
Read more »अंतर्मन की आवाज --------------------- दिन के उजाले में साँझ की हर साँस को भोर का विश्वास दे शब्द बुनें अर्थ गढ़े आस की तलाश में दूर तक गमन किया कुछ न कर स…
Read more »कीचड़ खा कर पलते लोग ----------------------------------- मानव व्यवहार में …
Read more »कौन आग लगा रहा दिलों में, जिम्मेदार है कौन? ------------ कहाँ चले गये वो लोग धीर से गम्भीर थे आज कहाँ खो गया उसका धैर्य? शहर की हवा बदली- बदली सी कुछ …
Read more »फागुन गीत घर आओ परदेशी, रंगीलो फागुन आयो रे। फागुन आयो मन हरसायो। मन हरसायो जियो तरसायो। फागुन आयो रे।। घर . ... नार नवेली सुंदर गोरी। संग पिया के खे…
Read more »(1) नव लय नव स्वर तान भरे, जन-गण-मन अभियान करे। महापुण्य का महा पर्व है, आओ हम मतदान करें। (2) मत से बनती है सरकारें, जन-जन का उपकार करें। रीत गीत संगीत पर्व…
Read more »मंजिल खड़ी सामने निगाहों में। हौसला गर है तुम्हारी बाँहों में।। सफलता निश्चित मिलेगी तुझे। बाधाएं चाहे कितनी हो राहों में।। बस छोड़ देना तू बुराई का दामन। रहना…
Read more »नहीं चाहिए उम्र ये पचपन। बस लौटा दो मेरा बचपन।। ले लो झूठी शानोशौकत। दे दो भोली वही नजाकत।। धूल मिट्टी में फिर से खेलूं। बाग बगिया अमुआ झुलूं।। वह कदंब की हर…
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