जिंदगी एक तमाशा पल में आशा पल में निराशा। क्या है जिंदगी, एक तमाशा? (1) कभी रुलाती कभी हँसाती कभी रूठती कभी मनाती कभी खिजाती कभी रिझाती कभी सुखाती कभी भ…
Read more »मकर संक्रन्ति पर्व मनाएं, तिल गुड़ के लाडू खाएं। चलो चले छत के ऊपर, रंग बिरंगी पतंग उड़ाएं। अति पावन यह दिन कहावे, दान पुण्य…
Read more »सर्दी ने हद कर दी स्वेटर पहने शाल ओढ़े फिर भी थरथर कांप रहे। मुंह से कुछ बोले नहीं मन ही मन से भांप रहें। बीवी ने चुप्पी तोड़ी पड़ी शाल भी ली ओढ़ी। खिड़की द्वा…
Read more »झूठ या सच ------------- झूठे लगते अब तो प्यारे, सच्चाई में कुछ दम नहीं। झूठे जीते और सच्चे हारे, सच सुनने की कूबत नहीं।। सच को झूठा साबित करता, झूठ ब…
Read more »वह भी चाहती खुश हो घर मैं भी चाहता खुश हो घर फिर भी ना जाने क्यों कर उग आते झगड़े के पर परिवार में मियाँ बीवी कभी वो तो कभी मैं हावी कोई कमी न थी घर में पर झगड़ा होता पलभर…
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