बंधन अभी ढीले हुए खुले नहीं -------------------------- गुलामी की जंजीरों से कैसे तोड़ूं बंधन? …
Read more »वृक्ष हमारे जीवन दाता... ----------------------------- शीतल मंद पवन के झोंके, आते है वृक्षों …
Read more »कैसी सभ्यता है? ------------------ यह कैसी उपज है? जो गाँव, शहर हर बस्ती में उपजती झुग्गी झोपड़ियां, गंदी बस्तियां कौन उपजाता है इन्हें? जहाँ रेंगते हैं ब…
Read more »राजपथ के बहरे गलियारे --------------------- कितने व्यवहार कुशल हो गए चुनाव में घोषणा पत्र लिखकर गाँवों की नगरों की कस्बों की सीमाओं पर स्वागत बोर्ड लगाकर निश…
Read more »झूठ, फरेब की पौध... ------------------------- भीड़ में ईमानदारी खो गई कहीं हर जगह मानव व्यवहार में उग रही गाजर घास की तरह स्वार्थ, लालच, छल-कपट झूठ, फरे…
Read more »एक छंद और लिख दिया... ----------------------------- भोर, धूप, सांझ, रात शिखर, नदी, वृक्ष पात लिख न सका राम नाम, व्यर्थ ही जिया।। एक छंद …
Read more »गरीब की भूख (लघुकथा) ---------------------------- आजकल पहाड़ी क्षेत्र भी सूखे की मार सह रहा है। यहाँ अधिकांश किसान ऐसे है कि उनके खेतों में इतना अनाज भी पै…
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