मंजिल खड़ी सामने निगाहों में। हौसला गर है तुम्हारी बाँहों में।। सफलता निश्चित मिलेगी तुझे। बाधाएं चाहे कितनी हो राहों में।। बस छोड़ देना तू बुराई का दामन। रहना…
Read more »नहीं चाहिए उम्र ये पचपन। बस लौटा दो मेरा बचपन।। ले लो झूठी शानोशौकत। दे दो भोली वही नजाकत।। धूल मिट्टी में फिर से खेलूं। बाग बगिया अमुआ झुलूं।। वह कदंब की हर…
Read more »(1) हर्ष-हर्ष है नया वर्ष है, लक्ष्य नये संघर्ष नये। छोड़ पुरानी बातों को अब, स्वप्न सजाए नये-नये।। (01) जात धर्म से ऊपर उठ कर हम ना उलझे मतभेदों में। मानवता यह धर्…
Read more »◆ देवहरण घनाक्षरी ◆ (शिल्प~8,8,8,9/ अंत में तीन लघु) भूख से बिलखे मन, चिथड़ों से ढका तन, रोटी मिले मिटे भूख, तन ढके कर जतन। खाल…
Read more »चुपके-चुपके आ कर बेटी माँ के कानों में। कुछ भूली बिसरी यादें साझा कर जाती है।। सास ननद के ताने सुनती चुप रह जाती है। गम सारे हँसते हँसते वह स…
Read more »मैं झरने का पानी ------------------------ सबके मन की पीर लिए मैं निर्झर मैं गाता हूँ मैं बहते ही जाता हूं अविराम गति से पथ पर मैं निर्झर झरने का पा…
Read more »तिरस्कार से कुंठित मन है , सोचे दुर्बल प्राण विवश है। घिरा घन तिमिर हृदय में , भावों का आवेश प्रबल है।। …
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