मूल्यों का पतन ----------------------- जिसने पाला पोसा पढ़ाया लिखाया बड़ा किया सपने देखे पथराई आँखों से, सेवा करेगा बेटा सपोला बन उसी को डस लिया छोड़ आया माँ-बाप को…
Read more »बढ़ती बेरोजगारी टूटते सपने ----------------------- ‘जाने क्यों?’ चिथड़ों में मिली जिन्दगी चिथड़ों में सिमट कर रह गई। उसने भूखी, प्यासी अनेक रातें ऐसी गुजारी थी...। जब…
Read more »अपनी बेकारी ---------- अपनी बेकारी कितनी इस जीवन की, करुणामय लाचारी दवाई का खर्च बीमार माँ…
Read more »झूठी आशा झूठी दिलशा कब तक देखेगें तमाशा? मार्डन इण्डिया अच्छे दिन की बात करता है जहाँ गरीब कंधें पर लाश ढोता है धिक्कार है ऐसे दिन देखने वालों पर। किसे कहें? किसे सुनाए…
Read more »जब मैं कन्या मा0 वि0 रायबिड़पुरा में दिनांक 15/12/2005 को अन्य संस्था से स्थानांतरित हो कर आया तो यहाँ के शाला परिसर की हालत बहुत ही खराब थी। खेल के मैदान…
Read more »शब्द का चिंतन मनन कर शब्द मधुरस घोल भी दे। शब्द को पहचान प्राणी शब्द मीठे बोल भी दे।। शब्द का चिंतन मनन कर... (1) शब्द शीतलता कहीं तो शब्द सु…
Read more »दुखियों के भगवान नहीं क्या? ------------------------------------ स्वार्थ की सीलन से जीवन की फिसलन से लुट-लुट कर दिन लाखों के अपनी रात सज़ा रक्खी है पुछ रहे विश्वास ह…
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