खोखला सा आदमी --------------- भार हीन बिल्कुल हल्का खोखला सा आदमी जब भुला अपने को धन वैभव की चमक धमक में हिस्सों में बटा किश्तों में कटा रिश्तों से हटा रिश्तों मे…
Read more »भूख राग... -------------------- धधकती ज्वाला पेट में लगी आग कैसे बुझाएं? सिकुड़ती आँतें पिचके गाल, बिखरे बाल निहारती फटी आँखें ऊंची-ऊंची इमारतें उनके आस पास फ…
Read more »मन की उलझन ------------------ जिसे होना चाहिए पास मेरे वह न रहा पास मेरे जिसे होना चाहिए उनके पास वह न रहा उनके पास तेरे मेरे में उलझा मन जीवन की भरी दुपहरी में तप…
Read more »श्रम सीकर से लथपथ चेहरे... ------------------------------- सींची फसलें अपना खून बना पसीना बना रक्त अन्न कणों में उसका पसीना स्वाद वही मिट्टी का, क्या तुम पहचान सकोगे…
Read more »मूल्यों का पतन ----------------------- जिसने पाला पोसा पढ़ाया लिखाया बड़ा किया सपने देखे पथराई आँखों से, सेवा करेगा बेटा सपोला बन उसी को डस लिया छोड़ आया माँ-बाप को…
Read more »बढ़ती बेरोजगारी टूटते सपने ----------------------- ‘जाने क्यों?’ चिथड़ों में मिली जिन्दगी चिथड़ों में सिमट कर रह गई। उसने भूखी, प्यासी अनेक रातें ऐसी गुजारी थी...। जब…
Read more »अपनी बेकारी ---------- अपनी बेकारी कितनी इस जीवन की, करुणामय लाचारी दवाई का खर्च बीमार माँ…
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