शिकन को भी शिकन आई... ----------- वह समेटने लगी बिखरे सपने खत्म हुई रात की खामोशियाँ सुहानी सुबह ने गृहिणी को नींद से जगाया हल्की सी शिकन माथे पर आई उसने ली अंगड़ाई वह …
Read more »और प्रभात हो गयी... --------------------------- मन का धुंधला अंधकार अभी भी रात होने का आभास दे रहा है। आकाश में गहरे बादलों के दल इधर से उधर दौड़ लगा रहे है। पश्चिम से…
Read more »शिक्षा की बगिया और उसके माली (शिक्षक दिवस पर) शिक्षा के बगीचे अभी भी अपने मालियों को पहचानते है क्या माली फूलों को पहचानना भूल गया है? …
Read more »रोटी कपड़ा और मकान ----------------------------- मैं बचपन में जब पढ़ता था मन ही मन कुछ गढ़ता था सामाजिक विज्ञान का पर्चा पाया जिसका पहला ही प्रश्न आया मनुष्य की मूलभूत आ…
Read more »जिंदा होने के सबूत... ---------------------- जब मैं देखता हूँ अपने आसपास किसी अनपढ़ बच्चे को जो पढ़ सकता था, काम करते किसी होटल में बर्तन धोते अपने वज़न से अधिक भार ढ…
Read more »मुख में राम है बगल में छुरी... ---------------------------- दिखने में सज्जनता झलके पर नियत इनकी बुरी, सावधान माथे पर चंदन का टीका मुख में राम है बगल में छुरी। हर जगह मि…
Read more »समय प्रबंधन (उद्देश्यपूर्ण जीवन के संदर्भ में) ------------------ एक सफल व्यक्ति के जीवन में समय प्रबंधन का विशेष महत्व है। दैनिक जीवन में समय प्रबंधन का महत्वपूर्ण तथ्…
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