शब्द का चिंतन मनन कर शब्द मधुरस घोल दे। शब्द को पहचान प्राणी शब्द मीठे बोल दे।। शब्द का चिंतन मनन कर... …
Read more »न्याय की तस्वीर से सच का अस्तित्व --------------------- न्याय का नाटक खेलते-खेलते सच को झूठ बोलते-बोलते झूठ को सच साबित कर…
Read more »इसीलिए नाराज है बेटी... .................................. परम क्षण थे वे, जब जन्म हुआ बेटी का धरा मुस्कराने लगी, गगन गीत गाने लगा सुन किलकारी बेटी की आँगन का बरगद भी…
Read more »जज्बातों की फटी चादर मैं सीता हूँ... ------------------------------- कविता का मैं भूखा हूँ, कविता का मैं प्यासा हूं, कविता का रस पीता हूँ, खाकर कविता जीता हूँ। देश धर्म…
Read more »शिकन को भी शिकन आई... ----------- वह समेटने लगी बिखरे सपने खत्म हुई रात की खामोशियाँ सुहानी सुबह ने गृहिणी को नींद से जगाया हल्की सी शिकन माथे पर आई उसने ली अंगड़ाई वह …
Read more »और प्रभात हो गयी... --------------------------- मन का धुंधला अंधकार अभी भी रात होने का आभास दे रहा है। आकाश में गहरे बादलों के दल इधर से उधर दौड़ लगा रहे है। पश्चिम से…
Read more »शिक्षा की बगिया और उसके माली (शिक्षक दिवस पर) शिक्षा के बगीचे अभी भी अपने मालियों को पहचानते है क्या माली फूलों को पहचानना भूल गया है? …
Read more »