सारे जग से न्यारी माँ ------------- अपने रक्त कणों से सिंच जीवन पुष्प खिलाती नव जीवन नव तन देकर जग में मुझको लाती मेरे नन्हें कोमल तन को थपकी दे सहलाती …
Read more »मन की उलझन ---------- परतों पर परतें, चट्टानों पर चट्टानें निर्जन अरण्य-प्रदेश मन का सूनापन। अनजानी अन-पहचानी अजीब सी कहानी अजीब उसका रहस्य उजाले की तलाश म…
Read more »समय बड़ा बलवान ------------------- यौवन का ज्यों खिला कमल, ज्यादा मत कर मान गुमान। …
Read more »यशोदा छंद विधान-[जगण गुरु गुरु] (121 22) 5 वर्ण प्रति तरण, चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत। विषय-हरी धरा हो सभी सुखी हो घने वनों में। हरे तनों में।। जड़े ध…
Read more »हे गांधी शत शत तुम्हें नमन... ---------------------------- भटक रही मानवता को सच्ची राह दिखाने वाले रक्तपात के घोर विरोधी सत्य अहिंसा के ह…
Read more »युद्धों का इतिहास वीरता का नहीं मनुष्य की मनुष्य के प्रति कायरता और डर का इतिहास है। --------------- युद्धों का इतिहास वीरता का नहीं मनुष्य की म…
Read more »सामाजिक सद भावना...(दोहे) सामाजिक सद भावना, भरो सकल मन माहि। आपस में मिलकर रहें, मन में संशय नाहि।।1।…
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