◆ देवहरण घनाक्षरी ◆ (शिल्प~8,8,8,9/ अंत में तीन लघु) भूख से बिलखे मन, चिथड़ों से ढका तन, रोटी मिले मिटे भूख, तन ढके कर जतन। खाल…
Read more »चुपके-चुपके आ कर बेटी माँ के कानों में। कुछ भूली बिसरी यादें साझा कर जाती है।। सास ननद के ताने सुनती चुप रह जाती है। गम सारे हँसते हँसते वह स…
Read more »मैं झरने का पानी ------------------------ सबके मन की पीर लिए मैं निर्झर मैं गाता हूँ मैं बहते ही जाता हूं अविराम गति से पथ पर मैं निर्झर झरने का पा…
Read more »तिरस्कार से कुंठित मन है , सोचे दुर्बल प्राण विवश है। घिरा घन तिमिर हृदय में , भावों का आवेश प्रबल है।। …
Read more »महापुरुषों के आदर्शों के संस्मरण का अवसर दीपावली भारत में बारह महीने कोई न कोई त्यौहार किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। हिंदू समाज के चार…
Read more »गीत यहाँ सुने दिप तो जले किसी का दिल नहीं जले एक गीत
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