जौहर-ज्वाला पद्मिनी
झूठ या सच
विकलांग नहीं दिव्यांग है हम
मेरी पुस्तक साहित्यमेध की समीक्षा
अंजाम क्यों हो 'श्रद्धा' सा तुम्हारा
 हां, "आप" को सबसे अलग बनाएं
   हे ! माँ मुझको गर्भ में ले ले (डी कुमार--अजस्र(दुर्गेश मेघवाल,)